अगर आप इस नए साल में हर दिन का एक कोना किताबी दुनिया को देने का मन बना रहे हैं या बना चुके हैं पर आप यह नहीं समझ पा रहे कि शुरुआत कहाँ से करें, तो मैं हूँ ना!
आपके अगले 12 महीनों के लिए हम चुनकर लाए हैं वे 12 किताबें जो आपको बहुतेरे अनुभवों और एहसासों और समझ की दुनिया में भी ले जाएँगी और आपको यह भी बताने में मदद करेंगी कि आख़िर किताबों के मामले में आपकी पसंद का जॉनर क्या है।
पहला महीना-पहली किताब
द ऐल्केमिस्ट (फ़िक्शन) :
नाम तो सुना होगा। पढ़ भी डालिए। एक अच्छी कहानी और एक बहुत अच्छे मोटिवेशन-इन्स्पिरेशन की ख़ातिर। बेहद साधारण सी दिखती यह कहानी आपको बहुत कुछ असाधारण समझा जाएगी।
कहानी के पन्ने : 161
लेखक : पाओलो कोएल्हो
दूसरा महीना-दूसरी किताब
द कॉल ऑफ द वाइल्ड (फ़िक्शन):
छोटा महीना है तो पतली किताब लेते हैं। बहुत से लोगों ने ‘कॉल ऑफ द वाइल्ड’ फ़िल्म देखी है। फ़िल्म से 200% ज़्यादा कुछ कहती यह किताब आपको भावनाओं के ऐसे जंगल में ले चलेगी जहाँ से आपको घसीटकर बाहर लाना पड़ेगा। यह ज़रूरी नहीं कि इस किताब को पढ़ने के लिए आपको कुत्तों से प्यार हो। बस, किसी ना किसी से प्यार होना चाहिए। इसका हिन्दी रूपान्तरण ‘जंगल की कहानी’ भी उतना ही ख़ूबसूरत है जितना अँग्रेजी में लिखी ओरिजिनल किताब।
कहानी के पन्ने : 139
लेखक: जैक लंडन
तीसरा महीना-तीसरी किताब
द प्रॉफ़ेट (फ़िक्शन):
‘द कमिंग ऑफ द शिप’ से शुरू होती घर, कपड़ों, काम, दान, प्रेम, विवाह, दुख, संतान,
कानून, ग़लती और सज़ा जैसे 27 विषयों में विभक्त है यह किताब। ज़िंदगी और जीने के तरीके को समझने के लिए, अपनी रूह को सुकून और दिल-दिमाग को सही रास्ता दिखाने के लिए इसे पढ़ें। समझ-समझकर पढ़ें। शो ऑफ करने के लिए नहीं बल्कि अपने मन और जीवन में उतारने के लिए पढ़ें। जी नहीं, यह कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है। यह रूहानी ग्रंथ है।
कहानी के पन्ने : 138
लेखक : कहलील ग्रिब्रान
चौथा महीना-चौथी किताब
प्रतिनिधि व्यंग्य – हरिशंकर परसाईं (फ़िक्शन):
बहुत ही ग़ज़ब कटाक्ष करते/लिखते थे परसाईं। सरकाज़्म समझते हैं ना, बस वही। 33 कहानियाँ हैं, बिलकुल छोटी-छोटी। बस मज़ा आ जाएगा तैतीसों को पढ़कर।
कहानी के पन्ने : 147
लेखक : हरिशंकर परसाईं
पाँचवाँ महीना-पाँचवीं किताब
सेपियंस – अ ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड (नॉन फ़िक्शन) :
अगर आपने सेपियंस अभी तक नहीं पढ़ी है तो यकीन मानिए आप बहुत कुछ मिस कर रहे हैं। बस पढ़ डालिए। पेंसिल लेकर बैठिएगा, मार्क करते हुए पढ़िएगा।
कहानी के पन्ने : 464
लेखक : युवल नोआह हरारी
छठा महीना-छठी किताब
फ़ेटेड टु लव (फ़िक्शन) :
पाकिस्तान में जन्मी, पली, बढ़ी, एक जान ले लेने वाली (लिटरली नहीं) प्रेम कहानी। आप इससे जल्दी उबर नहीं पाएँगे। उबरना चाहिए भी नहीं। हिलाकर रख देने वाला अंत रखती यह कहानी अपनी पूरी यात्रा में अपने कैरेक्टर्स और पाठकों का हाथ पकड़े चलती है और कभी भी, कहीं भी लूज़ नहीं पड़ती। आप आगे जाकर इसका सीक्वल ‘लव्स फ़्यूरी’ भी पढ़ सकते हैं।
कहानी के पन्ने : 384
लेखक : क़ैसरा शहराज
सातवाँ महीना-सातवीं किताब
टू ईयर्स बिफोर द मास्ट (जर्नल-फ़िक्शन) :
अगर आपको पानी से प्यार है और भूगोल की समझ है तो आपके लिए इससे अच्छी किताब कोई नहीं। अगर नहीं है तो मैप लेकर भी यह किताब पढ़ी जा सकती है। 1834 की दुनिया और समुंदर में उतरते एक जहाज पर काम करता/यात्रा करता युवा लेखक। मैं इससे ज़्यादा और कुछ नहीं बताऊँगी, ज़रूरत भी नहीं। हिन्दी रूपान्तरण ‘एक अदना मल्लाह की पुकार’ भी पढ़ी जा सकती है लेकिन मुझे किसी स्टोर पर वह नहीं मिली। गूगल पर पीडीएफ़ ज़रूर मौज़ूद है।
कहानी के पन्ने : 407
लेखक : रिचर्ड हेनरी डाना, जूनियर
आठवाँ महीना-आठवीं किताब
मैन इटर्स ऑफ कुमायूँ (नॉन फ़िक्शन) :
जंगल, आदमखोर शेर, जिम कॉर्बेट, 10 कहानियाँ – और क्या चाहिए एक बढ़िया महीना गुज़ारने के लिए।
कहानी के पन्ने : 250
लेखक : जिम कॉर्बेट
नौवाँ महीना-नौवीं किताब
नौका डूबी (फ़िक्शन) :
अगर आप रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ और ‘गोरा’ पढ़कर संतुष्ट हो चुके हैं तो ‘नौका डूबी’ पढ़िए।
कहानी के पन्ने : 246
लेखक : रवीन्द्रनाथ ठाकुर
दसवाँ महीना-दसवीं किताब
क्रिएटिविटि, आईएनसी (नॉन फ़िक्शन) :
क्रिएटिव लोगों की एक बड़ी और वर्ल्ड क्लास टीम लेकर चलना, एक महत्वाकांक्षी कंपनी चलाना, दिक्कतों से भरे कई बड़े निर्णय लेना और अपनी टीम की रचनात्मकता को चरम पर ले जाना – स्टीव जॉब्स के साथ पिक्सर ऐनिमेशन के को-फ़ाउंडर की इस किताब में आपको ये सब पढ़ने और सीखने को मिलेगा।
कहानी के पन्ने : 429
लेखक : एड कैटमल
ग्यारहवाँ महीना-ग्यारहवीं किताब
अ थाउज़ेन्ड स्प्लेडिंड सन्स (फ़िक्शन) :
द काइट रनर तो आपने पढ़ी ही होगी। बस, आपको ये किताब भी पढ़ डालनी चाहिए। इस लेखक के बारे में कुछ भी बोलना मेरे लिए सूरज को दिया दिखाना रहा है। सो बस, पढ़ डालिए। आपका कोई भी जॉनर हो, अफ़गानिस्तान के सच पर लिखी इस किताब को आप कभी भूल नहीं पाएँगे।
कहानी के पन्ने : 400
लेखक : ख़ालिद होसैनी
बारहवाँ महीना-बारहवीं किताब
डेथ (नॉन फ़िक्शन) :
साल का अंत क्यों ना अंत को समझकर करें। फ़र्क नहीं पड़ता आप सद्गुरु की बातों पर रुकते-ठहरते हैं या नहीं, मृत्यु एक ऐसी रोचक पहेली है जिसे सुलझाने की हर कोशिश अपने आप में रोचक है। वाक़ई। यक़ीन करने-ना करने के लिए नहीं, एक्सप्लोर करने के लिए ज़रूर पढ़ें।
कहानी के पन्ने : 335
लेखक : सद्गुरु
Happy Reading!
And A Very Happy New Year 2024!
Hozzászólások